कबीर दास जी के दोहे

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पांच पहर धंधा किया, तीन पहर गया सोय एक पहर भी नाम बिन, मुक्ति कैसे होय।। अर्थ : कबीरदास जी कहते हैं कि दिन के आठ पहर में आप पाँच पहर ...

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